रक्षा मंत्री का बड़ा ऐलान – स्वदेशी इंजन से मजबूत होगी भारत की ताकत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की है कि “भारत अब स्वदेशी फाइटर जेट इंजन विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगा। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र में तकनीकी उन्नति होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति भी मजबूत होगी”

हम लोगों की कोशिश है कि जल्दी ही वह निर्णय हो जाए ताकि हम बड़े इंजन भी भारत में ही बनाना प्रारंभ करें। भारतवासियों के हाथों से ही बड़े इंजन बनना प्रारंभ हो जाए तो स्वदेशी की दिशा महत्वपूर्ण कदम होगा। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर यह इशारा कर दिया है कि जल्द ही भारत उस फैसले पर पहुंचने वाला है जहां पर वह खुद अपने लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने लगेगा। इतना ही नहीं वह यह बात भी साफ तौर पर बता रहे हैं कि भारतीय हाथों के द्वारा ही इस स्वदेशी इंजन का निर्माण किया जाएगा। दरअसल भारत लंबे वक्त से इस कोशिश में लगा हुआ है कि लड़ाकू विमानों में फिट होने वाले इंजन को भारत स्वदेशी रूप से तैयार कर पाए। हालांकि भारत को अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है।
लेकिन एक मौके पर संबोधन करते हुए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात की ओर इशारा किया है कि देश की कोशिश है कि जल्द ही इस फैसले पर पहुंचा जाए कि लड़ाकू विमानों में लगने वाले इंजन भारत में ही तैयार हो। उन्होंने यह भी कहा कि हम रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। आप सबको जानकारी होगी कि हमारे अधिकांश इक्विपमेंट जो हम एक समय में विदेशों से इंपोर्ट करते थे वह आज हम खुद अपने देश में ही बना रहे हैं।

अबतक क्या रही है भारत की इस दिशा में पहल ?

कावेरी प्रोजेक्ट के जरिए भारत यह कोशिश दशकों दशक से करता चला आ रहा है। 1889 से शुरू हुई इस प्रोजेक्ट में भारत की कोशिश है कि अब जब तमाम हथियारों में भारत अपने आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है तो लड़ाकू विमान के प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम किया जाए ताकि लड़ाकू विमान में भारत अपने स्वदेशी इंजन फिट कर पाए,क्योंकि अभी तक इसके लिए भारत की निर्भरता दुनिया के कई अहम देशों पर रही है।

कावेरी इंजन प्रोजेक्ट और इसके उद्देश्य क्या है ?

कावेरी इंजन प्रोजेक्ट भारत का एक स्वदेशी जेट इंजन विकसित करने का महत्वाकांक्षी प्रयास है, जिसे मुख्य रूप से लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह प्रोजेक्ट भारत सरकार की आत्मनिर्भरता की रक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा है।

>भारत को जेट इंजन तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना।

>विदेशी इंजन (जैसे GE404/414) पर निर्भरता को कम करना।

>तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए घरेलू इंजन उपलब्ध कराना।

कावेरी प्रोजेक्ट की बात करें तो इसका लक्ष्य था 81 से 83 के थ्रस्ट वाला टर्बो फैन इंजन विकसित करना ताकि हल्के लड़ाकू विमान में इसे लगाया जा सके लेकिन यह हो नहीं पाया। इस प्रोजेक्ट को भारत के गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट ने
विकसित किया था। जीटीआरई भारत सरकार की संस्था डीआरडीओ की प्रयोगशाला ही है, इसमें अभी कई तरह की कमियां रह गई है। हालांकि कावेरी इंजन का प्रोजेक्ट अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। डीआरडीओ अब इसे मानव रहित हवाई वाहनों यानी कि यूएवी घातक यूकेएएस में इस्तेमाल करने की कोशिश में है। और कोशिश ये भी है कि जब एक बार इसमें सफलता मिल जाए तो आने वाले जो पांचवी पीढ़ी के एमएसए हैं उसमें इसे फिट किया जा सके। लगातार भारत में इस बात पर मांग होती रही है कि भारत के अपने स्वदेशी इंजन हो वो तैयार नहीं हो पाया है।

क्या है इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की चुनौतियां

भारत के सामने स्वदेशी इंजन बनाने के लिए कई तरह की तमाम चुनौतियां सामने रही हैं, इसमें मटेरियल की कमी, अपर्याप्त फंडिंग, तमाम और ऐसे कारण रहे हैं। हालांकि इस मौके पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह कहा है कि भारत को और भी ज्यादा तेज गति से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ने की जरूरत है जिसके जरिए देश को और सशक्त बनाया जा सके। इसके लिए भारत कई और तरह के कार्यक्रम चला रहा है। इसके अलावा हमने आईडेक्स, अदिति जैसे अनेक इनिशिएटिव शुरू किए जो युवाओं के इनोवेटिव माइंड्स को डिफेंस सेक्टर से स्वाभाविक रूप से जोड़ रही है।और हमने स्टार्ट‑अप्स एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा देने का काम किया है और लगातार बढ़ भी रहा है। आज हमें इस बात से संतुष्टि होती है कि हमने जो प्रयास किए अब वह कामयाब हो रहे हैं।

इनोवेशन एवं स्टार्ट‑अप समर्थन के लिए प्रयास

>iDEX : ₹1.5 करोड़ से ₹10 करोड़ तक समर्थन

>ADITI: ₹750 करोड़ बजट (2023‑26), ₹25 करोड़ प्रति परियोजना तक सहायता

>Technology Development Fund (TDF) भी नए इनोवेटिव आइडिया को प्रोत्साहित करता है

>DRDO‑Industry Workshop में निजी क्षेत्र को बड़ी भागीदारी

>TDF के तहत MSME एवं स्टार्ट‑अप को 90 % परियोजना लागत तक की सहायता (₹50 करोड़ अधिकतम)

दूसरे देशों पर निर्भरता के चलते लड़ाकू विमानों की संख्या के मामले में भारत तय लक्ष्य से काफी पीछे है

अभी तक दुनिया के कई अहम देशों जिसमें फ्रांस और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं जिसपर भारत के इंजंस की निर्भरता रही है। अभी भी भारत अपने लड़ाकू विमानों के टारगेट से काफी पीछे है, जिसकी वजह इंजन की सप्लाई में काफी देरी मानी जा रही है । यही कारण है कि भारत के लड़ाकू विमानों का प्रोजेक्ट पिछड़ता चला जा रहा है। हालांकि भारत अब इस दिशा में जुट गया है कि वो जैसे तमाम दूसरे मिसाइल्स और दूसरे हथियारों में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है तो तेजी से फैसला करके भारत इंजंस की तरफ भी अब अपना कदम बढ़ा दे।

विदेशी निर्भरता : विमान इंजन निर्माता देश

तेजस– GE F404/GE F414 (अमेरिका)
Su-30– MKI AL-31FP (रूस)
Mirage 2000– M53-P2 (फ्रांस)
Rafale– M88 (फ्रांस)
Jaguar– Adour (ब्रिटेन)
Apache/Chinook– GE T700 (अमेरिका)

जेट इंजन रक्षा तकनीक में “crown jewel” मानी जाती है। अबतक कुछ ही देशों (जैसे USA, रूस, UK, फ्रांस, चीन) के पास इसकी पूरी तकनीक है। यदि भारत यह तकनीक विकसित करता है, तो यह स्वतंत्र रक्षा विमान उत्पादन के लिए मील का पत्थर होगा।

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