आज के दौर में बहुत ही रोचक और संभावनाओं से भरी हुई साइकोलॉजी पारंपरिक “काउंसलर” या “थैरेपिस्ट” की छवि से आगे बढ़कर अब कई क्षेत्रों में कदम रख चुकी है। माइंड की साइंटिफिक स्टडी और लोगों के व्यवहार का तरीका ही साइकोलॉजी होता है। साइकोलॉजिस्ट अपने क्लाइंट्स के बिहेवियर को एग्जामिन और ऑब्जर्व करके उनके व्यवहारिक समस्याओं को ट्रीट करता है। यह ट्रीटमेंट थेरेपी और काउंसलिंग पर फोकस होता है ना कि मेडिकेशंस पर और इसीलिए समय के साथ इस प्रोफेशन की महत्त्व को समझा जाने लगा है इसलिए इस फील्ड में काफी स्कोप बढ़ा है। जो स्टूडेंट साइकोलॉजी और ह्यूमन बिहेवियर की स्टडी में इंटरेस्टेड होते हैं उनमें इस प्रोफेशन को लेकर कि क्रेज़ भी काफी बढ़ा हुआ है इसलिए साइकोलॉजी मोस्ट पॉपुलर अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस में शामिल हो गया है। इसका एरिया इतना वाइड है कि आप चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट बनने का ऑप्शन भी चूज़ कर सकते हैं तो एविएशन या मिलिट्री साइकोलॉजिस्ट भी बन सकते हो यानी कि आपको मिलने वाले जॉब ऑप्शंस की कोई कमी नहीं है।साइकोलॉजी के क्षेत्र में बहुत सारी कैटेगरी मिलती हैं जैसे कि क्लिनिकल साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी फॉरेंसिक साइकोलॉजी, चाइल्ड साइकोलॉजी, एजुकेशनल साइकोलॉजी, डेवलपमेंटल साइकोलॉजी और न्यूरो साइकोलॉजी| इनमें से जिस कैटेगरी में आप इंटरेस्ट रखते हैं उसमें हायर स्टडीज करके साइकोलॉजिस्ट बन सकते हैं।
आइए साइकोलॉजिस्ट बनने से जुड़ी सभी जरूरी बातें समझते हैं
सामान्यतः साइकोलॉजिस्ट के दो प्रकार होते हैं पहला प्रैक्टिशनर और दूसरा रिसर्चर। प्रैक्टिशनर वो होते हैं जो डिप्रेशन, एंगर, एंजाइटी और एडिक्शन जैसी डिफिकल्टीज फेस कर रहे लोगों पर साइकोलॉजी की प्रैक्टिस किया करते हैं। इस जॉब का पर्पस लोगों के मेंटल और इमोशनल प्रॉब्लम्स को दूर करना होता है ताकि वह हेल्दी और हैप्पी लाइफ जी सके।इस प्रोफेशन के लिए आपके पास कम से कम साइकोलॉजी में बैचलर डिग्री तो जरूर होनी चाहिए और रिसर्चर ऐसे साइकोलॉजिस्ट होते हैं जो यूनिवर्सिटीज और स्कूल्स जैसे स्थानों पर काम करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों से इंटरएक्शन करके उनके बिहेवियर को एनालाइज कर सके। यह अक्सर साइंटिफिक मेथड्स के जरिए स्टडी करते हैं और केस स्टडी, कंटेंट एनालिसिस, फील्ड एक्सपेरिमेंट्स और सर्वे के जरिए इंफॉर्मेशन कलेक्ट करते हैं और उसे एग्जामिन करके रिजल्ट्स या रिपोर्ट देते हैं। वैसे इस पोजीशन पर वर्क करने के लिए अक्सर डॉक्टररेट की डिग्री होनी जरूरी है।
अब हो सकता है कि बहुत से स्टूडेंट्स की तरह आप भी साइकाइट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के बीच डिफरेंस नहीं कर पाते हैं इसलिए इनके बारे में जान लेते हैं साइकाइट्रिस्ट के पास एमबीबीएस और एमडी की डिग्री होती है और उनके पास मेडिकेशंस प्रिस्क्रिप्शन से डील करने और उन्हें मेडिकेशन मैनेजमेंट से इलाज करने की होती है जबकि साइकोलॉजिस्ट साइकोथेरेपी जैसी टेक्निक्स का यूज करते हैं और काउंसलिंग के जरिए पेशेंट्स की इमोशनल और मेंटल सफरिंग का पता लगाकर उसे ट्रीट करते हैं।
अच्छा साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए कुछ इंपॉर्टेंट स्किल्स का होना भी जरूरी है
इन महत्वपूर्ण स्किल्स में अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स, एनालिटिकल माइंड, पेशेंस, सेंसिबल एंड सपोर्टिव नेचर, रियलिस्टिक, पैशन फॉर वर्क एंड गुड ऑब्जर्वेशन शामिल है।
आइए अब ड्यूटीज के बारे में जानते हैं
एक साइकोलॉजिस्ट की ड्यूटीज होती हैं कि वह ह्यूमन बिहेवियर्स और इमोशनल पैटर्न को पहचानकर मेंटल हेल्थ कंडीशन को डायग्नोज करने के लिए टेस्ट और असेसमेंट का यूज करें। ऑब्जर्वेशन, इंटरव्यूज, सर्वेज जैसे मेथड्स को यूज करके इंफॉर्मेशन को कलेक्ट करें और बिहेवियर और ब्रेन फंक्शंस की स्टडी करें और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर डील कर पेशेंट्स को लॉन्ग टर्म काउंसलिंग ऑफर करें।
इंडिया में एक साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको कौन-कौन से स्टेप्स को फॉलो करना होगा?
साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको साइकोलॉजी में बैचलर डिग्री लेनी होगी जिसमें एडमिशन के लिए आप 12वीं में किसी भी स्ट्रीम से पास कर सकते हैं और अगर स्कूल लेवल पर ही आपका साइकोलॉजी सब्जेक्ट में इंटरेस्ट डेवेलप हो जाए तो आपको 12वीं क्लास में साइकोलॉजी सब्जेक्ट की स्टडी करनी चाहिए ताकि स्कूल लेवल से ही आपके कांसेप्ट एकदम क्लियर होते जाएं और सब्जेक्ट पर आपकी पकड़ मजबूत बनना शुरू हो सके। 12वीं के बाद आप बीए या बीएस इन साइकोलॉजी कर सकते हैं।
आगे मास्टर्स डिग्री की बात करें तो आप पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए एम.ए. या एमएससी इन साइकोलॉजी कर सकते हैं और अगर आपने ग्रेजुएशन में साइकोलॉजी ली है तो एडमिशन मिलना आसान हो जाता है। उसके बाद आप रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम करके एक्सपीरियंस भी ले सकते हैं। ग्रेजुएशन के साथ-साथ अगर आप रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर भी काम करते रहेंगे तो आपको इस फील्ड का एक्सपीरियंस मिलता रहेगा और प्रैक्टिकल नॉलेज के लिए आप मल्टीपल इंटर्नशिप्स कर सकते हैं।
एक्सपीरियंस के लिए इंटर्नशिप जरूर करें जो एनजीओ, प्राइवेट क्लिनिक, स्कूल्स और हॉस्पिटल्स में की जा सकती है, और जब एक्सपीरियंस हो जाए तो आप साइकोलॉजिस्ट की प्रैक्टिस कर सकते हैं।
लेकिन अगर आप इस फील्ड में काफी ग्रोथ चाहते हैं, तो आपको फर्दर स्टडीज का ऑप्शन चूज करना चाहिए।
क्या है वो स्पेशलाइजेशन जिनमें अच्छे अवसर है
स्पेशलाइजेशन के लिए अप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस, बिहेवियरल न्यूरोसाइंस, स्पोर्ट्स, चाइल्ड क्लीनिकल, साइबर साइकोलॉजी, हेल्थ, फॉरेंसिक क्रिमिनोलॉजी, काउंसलिंग, सोशल लॉजी, मेंटल हेल्थ काउंसलिंग इत्यादि विशेष शाखाएं चुन सकते ही। इसके बाद आप इंडस्ट्रीज और क्लीनिक, एनजीओ में वर्क करने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में साइकोलॉजी एवं टेक्नोलॉजी का समन्वय
>AI & Human Behavior Specialist: कंपनियाँ अब ऐसे मनोवैज्ञानिक चाहती हैं जो इंसानों के व्यवहार को समझकर AI या चैटबॉट्स को बेहतर बना सकें।
>UX Researcher: एप्स और वेबसाइट को यूजर फ्रेंडली बनाने में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका बढ़ रही है।
आपको यह भी पता होना चाहिए कि क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट बनने की कुछ डिफरेंट कंडीशंस भी होती है
अगर आप क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो आपके पास आरसीआई यानी कि रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया लाइसेंस होना जरूरी है जिसके लिए मिनिमम क्राइटेरिया आरसीआई अप्रूव्ड इंस्टिट्यूट से एमफिल करना होता है। यह 2 साल का डिग्री कोर्स होता है जिसमें एंट्रेंस टेस्ट के बेस पर एडमिशन दिया जाता है।
कुछ आरसीआई अप्रूव्ड यूनिवर्सिटीज हैं जहां से आप ये कोर्स कर सकते हैं
>इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर्स एंड अलाइड साइंसेस >इंस्टिट्यूट ऑफ साइकैट्री, रांची
>न्यूरो साइंसेस यानी कि एनआईएमएचएएनएस, बेंगलुरु
>एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड अलाइड साइंसेस, नोएडा
>एसआरए मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, तमिलनाडु
आपको यह भी पता होना चाहिए कि एनईपी यानी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में एमफिल को कंपलसरी डिग्री नहीं बताया गया है, लेकिन आरसीआई के अनुसार यह कोर्स हटाया नहीं जाएगा बल्कि पहले की तरह ही कंटिन्यू रहेगा।
अब आगे एक साइकोलॉजिस्ट के तौर पर काम करने के लिए मौजूद एंप्लॉयमेंट सेक्टर के बारे में अगर हम बात करें तो एजुकेशन सेक्टर में आप स्कूल काउंसलर, ट्रेनर और करियर काउंसलर के तौर पर काम कर सकते हैं। आप एनजीओ, ओल्ड एज होम्स, रिहैबिलिटेशन सेंटर्स में काम कर सकते हैं, मल्टीनेशनल कंपनीज में ऑर्गनाइजेशनल साइकोलॉजिस्ट के रूप में भी काम कर सकते हैं। यूनिवर्सिटीज और गवर्नमेंट एजेंसीज में रिसर्च साइकोलॉजिस्ट की पोजीशन पर पहुंच सकते हैं और इंडिविजुअल काउंसलिंग भी कर सकते हैं।
इन कोर्सेस के लिए भारत के कुछ टॉप कॉलेज
>लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली
>प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई
>जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली
>क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
>सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई
>कमला नेहरू कॉलेज, दिल्ली
>यूनिवर्सिटी सोफिया कॉलेज फॉर विमेन, मुंबई
>मीठीबाई कॉलेज ऑफ आर्ट्स, मुंबई
>यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, कोलकाता
>फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे
>टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई
>इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च, बेंगलुरु
>एएमआईटी इंस्टिट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड अलाइड साइंसेस
>हेल्थ एंड एलाइट साइंस, नोएडा
>डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेस, आईआईटी दिल्ली
>अंबेडकर यूनिवर्सिटी, न्यू दिल्ली
>सेंट्रल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक
जहां तक सैलरी की बात है तो इंडिया में एक साइकोलॉजिस्ट को मिलने वाली औसतन वार्षिक सैलरी लगभग ₹4 लाख होती है। आपकी एजुकेशन, एक्सपीरियंस और स्किल्स के आधार पर ये ज्यादा या कम भी मिल सकता है।