भारत को वर्तमान में ऐसे लड़ाकू विमान की जरुरत है जो इंडियन एयरफोर्स की हवाई क्षमता को अगले स्तर पर ले जा सके। ऐसे विमान की खरीद को लेकर भारत सरकार अब गंभीरता से विचार भी कर रही है। भारत के रक्षा सचिव आर के सिंह ने फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर एक जानकारी देते हुए कहा है कि भारत पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान यानी फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर विचार कर रहा है। फ्रेंडली नेशंस से इस प्रकार की खरीद एक रणनीतिक विकल्प के तौर पर देखी जा रही है।
कौन -कौन से मौजूदा विकल्प हैं जिसपर भारत की नजर है
जब बात पांचवी पीढ़ी के विमान की होती है तो दो तस्वीर सामने आती हैं,एक अमेरिका के F–35 और दूसरी रूस के SU–57। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से हालात बदले हैं, ज्यादा संभावनाएं यह है कि भारत रूस की SU 57 की खरीद पर फैसला कर सकता है। लेकिन एक विकल्प भारत के पास और है और वो है खुद का फाइटर जेट बनाना, यानि कि AMCA यानि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट। भारत का खुद का फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट जिसकी प्लानिंग पहले शुरू हो चुकी है, फिलहाल ये विमान अपने शुरुआती स्टेज में है और पहली उड़ान 2029 में होगी और ये 2035 तक इंडियन एयरफोर्स में शामिल हो सकती है ऐसी संभावना जताई गई है। मौजूदा हालात में भारत में फाइटर जेट की भारी कमी को देखते हुए खरीद के फैसले की सम्भावना प्रबल है क्यूंकि तात्काल ही जरुरत पूरी की जा सके।
भारत को बड़ी संख्या में फाइटर जेट की है जरुरत
भारत की सीमाएँ चीन और पाकिस्तान से लगती है जिससे सीमाविवाद और सैन्य तनाव समय-समय पर बढ़ते रहते हैं इसलिए भारत को दोनों मोर्चों पर एक साथ लड़ने में सक्षम वायु शक्ति की जरूरत है। भारत की जरूरत देखिए तो साल 1965 के बाद से फाइटर जेट्स की संख्या में इंडियन एयरफोर्स अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत होती है (1 स्क्वाड्रन में लगभग 18 विमान होते हैं ), लेकिन फिलहाल अभी 32-33 स्क्वाड्रन ही हैं, यह वायु सुरक्षा और आक्रामक क्षमता दोनों के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती। साल 2035 तक MIG-21 और MG-29 पूरी तरह से फेज़ आउट हो जाएंगे, Jaguar का पहला स्क्वॉड्रन 2025 में फेज़ आउट होगा। इसलिए भारत को हर हाल में नए फाइटर जेट्स चाहिए, और यहीं पर AMCA या SU 57 जैसे विकल्प सामने आते हैं।
F35 और SU57 फाइटर जेट पर क्या हैं अमेरिका और रूस के दावे
फाइटर जेट F35 और SU30 को लेकर बात होती रही है और माना जाता है कि भारत रूस की तरफ जा सकता है क्योंकि ऐसे रिपोर्ट्स हैं कि इसी साल रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन भारत आ सकते हैं,ऐसे में इस विमान की खरीद पर चर्चा हो सकती है। ये वही विमान है जिसे रूस अपनी सबसे एडवांस और स्टेल्थ फाइटर टेक्नोलॉजी मानता है और बहुत लंबे वक्त से इस विमान का ऑफर भारत को दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे डी वांस भारत को F35 देने की पेशकश कर चुके हैं जिसे अमेरिका अपनी सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी का फाइटर जेट मानता है। लेकिन हकीकत यह है कि बात सिर्फ पेशकश तक ही सीमित रही है,इस मामले में ना कभी भारत के साथ कोई औपचारिक बातचीत शुरू हुई और ना ही किसी तरह की डील या कीमत पर सहमति बन पाई है। इस बीच अमेरिका का F35 जो उसने ब्रिटेन को दिया है वो पिछले काफी वक्त से यहां भारत में खराब पड़ा है। ऐसे में इस विमान को लेकर जो दावा किया जाता है कि यह रडार में नहीं आता है लेकिन इमरजेंसी में जब इसे भारत में लैंड करना पड़ा तो भारतीय वायुसेना की आईसीसीएस प्रणाली ने ना केवल इसे ट्रैक किया बल्कि लैंडिंग से लेकर टेक्निकल सपोर्ट तक में तेजी से मदद पहुंचाई। शुरुआत में वजह ईंधन की कमी बताई गई,फिर विमान में रिफ्यूलिंग कर दी गई लेकिन बाद में कहा गया कि हाइड्रोलिक सिस्टम फेल हो गया है। सब कुछ करने के बाद भी वो विमान वापस से उड़ान नहीं भर सका, ऐसे में अमेरिका जिस विमान को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है उसकी असलियत खुद ब खुद भारत के सामने आ गई।
अमेरिका के बड़े दावों के बाद भी F35 क्यों पिछड़ रहा है ?
F35 के डील साथ दिक्कत ये भी है कि अमेरिका अब तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर तैयार नहीं है,अगर कोई डील हो भी जाती है तो भारत को सिर्फ विमान मिलेगा लेकिन उसकी तकनीक नहीं और इसलिए भारत अपने हिसाब से उसे अपग्रेड या एडजस्ट भी नहीं कर पाएगा, ऐसे में यह हमारे मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के बिल्कुल उलट होगा। इसके अलावा अमेरिका की कुछ घरेलू पॉलिसियां भी भारत के लिए चिंता का विषय है। कुल मिलाकर F35 भले ही कागज पर एक शानदार फाइटर जेट लगे लेकिन जब जमीन पर भारत की जरूरतों के हिसाब से इसे देखा जाता है तो यह हमारे लिए सही विकल्प नहीं दिखाई पड़ता।
खरीद का फैसला भारत की विदेश नीति और रक्षा रणनीति दोनों को प्रभावित करने वाला है
भारत को किसी भी हाल में घातक विमान खरीदने ही हैं और भारत को ऐसा विमान चाहिए जिसकी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो जिससे ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट को बढ़ावा मिले। फिलहाल रूस ही ऐसा देश है जो इन सभी शर्तों को पूरा कर रहा है। कुछ वक्त पहले ही रूसी राजदूत डेनिस एलिपोव ने कहा था कि हमारे पास सबसे बेहतर मशीन SU 57 है, हम अपना पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान ऑफर कर रहे हैं जिसमे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ही नहीं बल्कि साथ मिलकर बनाने की भी पेशकश कर रहे है।SU 57 का बेंगलुरु के एयरो इंडिया में इसका प्रदर्शन भी हुआ था जिसमे इसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत को यह ऑफर बार-बार रशिया की ओर से दिया गया है। भारत के लिए इससे बेहतर क्या विकल्प हो सकता है जिसमे दुनिया का सबसे घातक विमान भी मिलेगा और टेक्नोलॉजी शेयर का ऑफर भी है मतलब सारी चीज़ें इस विमान के साथ भारत को मिलेगी।
क्या है SU 57 फाइटर की खासियत ?
इस विमान की खूबियों को भी देखा जाए तो यह एक स्टेल्थ फाइटर जेट है जो 2600 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से यह उड़ता है। SU 57 की कॉम्बैट रेंज 1250 कि.मी. है और यह विमान अधिकतम 66000 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। SU 57 में लगने वाली R37 मिसाइल बेहद खतरनाक मिसाइलों में मानी जाती है जिसका इस्तेमाल रूस ने यूक्रेन की जंग में खूब किया है। इसका स्टेल सिस्टम बिना स्पीड कम किए काम करता है जिससे उसे कॉम्बैट में और बचकर निकलने में फायदा मिलता है। इसमें कई शॉर्ट मीडियम और लॉन्ग रेंज के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें गाइडेड एरियल बम लग सकते हैं। कुल मिलाकर इसमें वो सभी खूबियां हैं जो भारत के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
क्या होंगे इस डील के सामरिक और रणनीतिक महत्त्व ?
चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत के खिलाफ रहते हैं, ऐसे में अगर भारत रूस से कोई डील करता है तो जो हम पावर बैलेंस की बात करते हैं वो यहां देखने को मिलेगा। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही चीन और रूस के संबंध काफी अच्छे हुए और पाकिस्तान भी रूस से अपने संबंधों को मजबूत करने में लगा है। ऐसे में भारत के लिए यह डील इन दोनों देशों के लिए एक बड़ा झटका होगी। पहले भी भारत और रूस के सम्बन्ध काफी बेहतर रहे हैं और रूस ने रक्षा सौदे के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर भारत का कई मामलों में सहयोगी रहा है।