“हींग के फायदे : स्वाद और सेहत का अनमोल खज़ाना”

“ एक चुटकी हींग की कीमत आप क्या जानें…”  यह कहावत सिर्फ़ मज़ाक नहीं, बल्कि हक़ीक़त है। हमारे किचन में रखी एक छोटी-सी डिब्बी में हींग भले ही छुपी रहती हो, मगर उसके फायदे अनगिनत हैं। एक चुटकी हींग सिर्फ़ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाती है बल्कि कई गंभीर बीमारियों में औषधि का काम भी करती है।
हींग को दाल या सब्ज़ी में डाला जाए तो उसका स्वाद बदल जाता है और यही वजह है कि इसे बघारनी भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह साधारण-सी दिखने वाली हींग असल में एक पौधे से निकलने वाला गोंद है? आइए, जानते हैं हींग की कहानी, उसका इतिहास, सेहत पर असर और उससे जुड़ी घरेलू नुस्ख़े।

आइए जानते हैं हींग कहाँ से आती है ?

हींग असल में फेरूला फोइटिस (Ferula Foetida) नामक पौधे से प्राप्त की जाती है। यह पौधा 60 से 90 सेंटीमीटर तक ऊँचा होता है और इसके पत्तों व तनों पर हल्की चोट करने से दूध जैसा रस निकलता है। यही रस जब सूख जाता है तो गोंद के रूप में जमता है और उसे हींग कहा जाता है। दिलचस्प बात यह है कि हींग भारत में उगाई नहीं जाती लेकिन खपत सबसे ज्यादा यहीं है। इसका असली उत्पादन ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, बलूचिस्तान, काबुल और खुरासान के पहाड़ी इलाकों में होता है। भारत में यह आयात के ज़रिये आती है और यहीं से हमारी थालियों में जगह बनाती है।

बाज़ार में हींग की प्रमुख चार किस्में है उपलब्ध

• कंधारी हींग: – अफगानिस्तान से आने वाली यह हींग सबसे प्रसिद्ध है।
• यूरोपीय हींग: – यूरोप के व्यापारियों द्वारा लाई गई, स्वाद और गंध में हल्की होती है।
• भारतवर्षीय हींग – भारत में प्रोसेस होकर बेची जाने वाली।
• वापिंड़ हींग – कम मात्रा में मिलने वाली एक किस्म।

वैद्य और आयुर्वेदाचार्य जिस हींग को श्रेष्ठ मानते हैं, उसे “हीरा हींग” कहा जाता है। इसकी गुणवत्ता सबसे अच्छी होती है और औषधीय गुणों में यह अग्रणी है।

सेहत के लिए खज़ाना है हींग वाला पानी

अक्सर घर में पेट दर्द, गैस या अपच जैसी समस्या हो जाए तो बुज़ुर्ग एक चुटकी हींग पानी में घोलकर पीने की सलाह देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी हींग में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों में राहत दिलाते हैं।

1. पेट की समस्या दूर:
हींग वाला पानी गैस, एसिडिटी और पेट दर्द में तुरंत असर करता है। यह पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है और भूख को भी बढ़ाता है।

2. हड्डियों और दांतों के लिए फायदेमंद:
हींग में मौजूद गुण हड्डियों को मज़बूत करते हैं और दांतों को हेल्दी रखते हैं।

3. ब्लड प्रेशर नियंत्रण:
हींग वाला पानी शरीर में रक्तचाप को संतुलित करता है।

4. माइग्रेन और दांत दर्द से राहत:
हींग का पानी माइग्रेन और सिरदर्द में कारगर है। दांत दर्द में हींग को सीधे दांतों के नीचे रखने से भी आराम मिलता है।

आयुर्वेद में है हींग का विशेष महत्व

• आयुर्वेद में हींग को वात-कफ नाशक, पाचक और अग्नि को प्रज्वलित करने वाली औषधि माना गया है। यह हल्की, गर्म और रुचि बढ़ाने वाली होती है।
• मिर्गी, लकवा और फालिज जैसी बीमारियों में लाभकारी।
• आंखों की बीमारियों में फायदा पहुंचाती है।
• आवाज़ को साफ़ करती है और बलगम दूर करती है।
• घाव और चोट में इसका लेप लगाने से कीटाणु मर जाते हैं।

आइए जानें कुछ प्रमुख घरेलू नुस्ख़े और उपाय

भारत के हर हिस्से में हींग का इस्तेमाल सिर्फ़ खाने के लिए नहीं, बल्कि घरेलू इलाज के लिए भी किया जाता है।

• दांतों की बीमारी: दांत दर्द में हींग को पानी में उबालकर उससे कुल्ले करें, कीड़े लगे दांत के नीचे गर्म की हुई हींग दबाने से कीड़े मर जाते हैं।
• अपच और भूख न लगना: हींग, अजवाइन, सेंधानमक और छोटी हरड़ बराबर मात्रा में पीसकर लें, यह पाचन को दुरुस्त करता है। घी में भुनी हुई हींग और अदरक का सेवन भूख बढ़ाता है।
• ज़हर और विषाक्तता: ज़हर खाने पर हींग का पानी पिलाने से उल्टी होकर असर कम हो जाता है। पागल कुत्ते के काटने या सांप के डंसने पर भी हींग का लेप और सेवन फायदेमंद बताया गया है।
• बुखार और जुकाम: टायफॉयड या सीलन से होने वाले बुखार में हींग का सेवन उपयोगी है। कमर दर्द और पुरानी खांसी में भी यह कारगर है।
• त्वचा और घाव: हींग और नीम के पत्तों का लेप घाव के कीड़े खत्म करता है। पित्ती और फोड़े-फुंसियों पर हींग का लेप आराम देता है।
• कान और आंख: हींग का तेल कान में डालने से दर्द और गूंज की समस्या दूर होती है। पीलिया में हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से लाभ मिलता है।
• अचार और हींग: भारतीय रसोई में अचार का भी अहम स्थान है। क्या आप जानते हैं कि अचार को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए भी हींग का प्रयोग किया जाता है? अचार भरने से पहले बर्तन में हींग का धुआं करने से वह जल्दी खराब नहीं होता।

क्या है असली और नकली हींग की पहचान

आजकल बाज़ार में नकली हींग भी खूब मिलती है इसलिए इसे पहचानना ज़रूरी है।
• असली हींग पानी में घुलकर दूध जैसा सफ़ेद रंग देती है।
• माचिस की जलती तीली पास लाने पर असली हींग चमकदार लौ के साथ जल जाती है।
• नकली हींग की गंध जल्दी उड़ जाती है, जबकि असली की खुशबू देर तक रहती है।

भारतीय संस्कृति में हींग और प्रयोग में की जाने वाली सावधानियां

भारत की रसोई में हींग का उपयोग सिर्फ़ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि परंपरा का हिस्सा भी है। खासकर उत्तर भारत की दाल-तड़का हो या दक्षिण भारत का सांभर, बिना हींग के वह अधूरा माना जाता है। शादी-ब्याह और बड़े भोजों में भी दाल में डाली गई हींग की महक भूख को दोगुना कर देती है।

सावधानियां:
हींग भले ही औषधि है, लेकिन इसे ज़रूरत से ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
• गर्भवती महिलाओं को सीमित मात्रा में हींग लेनी चाहिए।
• अधिक सेवन से पेट में जलन और दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
• हमेशा शुद्ध हींग ही प्रयोग करें।

हींग सिर्फ़ एक मसाला नहीं, बल्कि हमारे किचन का छुपा हुआ डॉक्टर है। एक चुटकी हींग से भोजन का स्वाद तो बदलता ही है, साथ ही यह पेट की बीमारियों से लेकर हड्डियों की मज़बूती, ब्लड प्रेशर नियंत्रण और यहां तक कि विषाक्तता के इलाज तक में काम आती है। इसलिए अगली बार जब भी आप दाल का तड़का लगाएँ या सब्ज़ी में मसाला डालें, तो याद रखिए यह सिर्फ़ स्वाद का साथी नहीं, बल्कि सेहत का रखवाला भी है।

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