तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का परंपरा की निरंतरता हेतू महत्वपूर्ण संदेश !

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने वीडियो संदेश में कहा :-

“मेरी मृत्यु के बाद भी धर्मगुरु चुनने की परंपरा जारी रहेगी। पुनर्जन्म को खोजने और पहचानने की प्रक्रिया पूरी तरह से गादेन फोडरंग फाउंडेशन के अधीन होगी। किसी अन्य को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।”

— दलाई लामा (14वें )
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु

क्या है बयान के मायने ?

इस बयान को तिब्बती बौद्ध समुदाय में धर्मगुरु की अगली पीढ़ी की मान्यता से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें चीन और तिब्बत के बीच राजनीतिक संघर्ष की भी पृष्ठभूमि है। माना जा रहा है कि बयान के ज़रिए दलाई लामा अप्रत्यक्ष रूप से चीन की तरफ इशारा कर रहे हैं जिसका कहना है कि अगला दलाई लामा चीनी क़ानून के मुताबिक़ ही बनेगा।
निर्वासित तिब्बती सरकार या सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन के राष्ट्रपति पेन्पा सेरिंग ने भी चीन को एक सीधा संदेश दिया है।सेरिंग ने कहा, “परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने की मूल प्रक्रिया अद्वितीय तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुरूप है इसलिए हम न केवल पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुनर्जन्म विषय के उपयोग की कड़ी निंदा करते हैं बल्कि इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
शायद यह बयान भविष्य में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोकने के उद्देश्य से दिया गया है।

तिब्बती बौद्ध धर्म परिचय

तिब्बती बौद्ध धर्म , वज्रयान (तांत्रिक या गूढ़) बौद्ध धर्म की शाखा है जो तिब्बत में 7वीं शताब्दी ई . से विकसित हुई। यह मुख्यतः मध्यमिका और योगाचार दर्शन के कठोर बौद्धिक विषयों पर आधारित है तथा मध्य एशिया और विशेष रूप से तिब्बत में विकसित तांत्रिक अनुष्ठान प्रथाओं का उपयोग करता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म की विशेषता है आबादी का असामान्य रूप से बड़ा हिस्सा सक्रिय रूप से धार्मिक कार्यों में लगा हुआ है 1950 के दशक में चीनी कम्युनिस्टों द्वारा देश पर कब्जा करने तक अनुमानित एक-चौथाई निवासी धार्मिक संघों के सदस्य थे। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में तिब्बती बौद्ध धर्म पश्चिम में फैल गया, खास तौर पर तिब्बत के चीनी कम्युनिस्ट शासन के अधीन होने के बाद बहुत से शरणार्थियों को अपनी मातृभूमि से बाहर जाना पड़ा जिनमें अत्यधिक सम्मानित “पुनर्जन्म वाले लामा” या तुलकु शामिल थे।

क्या है तिब्बती बौद्धधर्म में पुनर्जन्म की परंपरा

धर्मगुरु की पुनर्जन्म की परंपरा तिब्बती बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अवधारणा में एक उच्च-स्तरीय लामा (बौद्ध गुरु) की मृत्यु के बाद उनकी चेतना एक नए बच्चे में पुनर्जन्म लेती है, जिसे “तुलकु” कहा जाता है। पुनर्जन्म की पहचान विशिष्ट प्रक्रियाओं और संकेतों के माध्यम से की जाती है जिसमें पूर्व लामा द्वारा छोड़े गए संकेत, भविष्यवाणी करने वाले लामाओं और दैवज्ञों से परामर्श और बच्चे का कई तरह का परीक्षण शामिल है।
निरंतर परीक्षण के बाद जब एक बार संभावित उत्तराधिकारी की पहचान हो जाती है तो फिर उसे औपचारिक रूप से तुलकु के रूप में मान्यता दी जाती है। यह प्रक्रिया जिसमें पुनर्जन्म और पहचान की एक सतत् श्रृंखला शामिल है। तिब्बती बौद्ध धर्म में उत्तराधिकार की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

लामा का अर्थ और धार्मिक भूमिका

लामा का अर्थ एक आध्यात्मिक शिक्षक या गुरु होता है । यह शब्द तिब्बती भाषा के “ब्ला-मा” से आया है, जिसका अर्थ “उच्च” या “श्रेष्ठ” होता है ।
लामा की भूमिका में आध्यात्मिक मार्गदर्शन, शिक्षा और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन शामिल है। लामा अपने शिष्यों को बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और प्रथाओं को सिखाते हैं और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद करते हैं ।

तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा का महत्व

तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा को करुणामय बुद्ध का अवतार माना जाता है। वे प्रबुद्ध व्यक्ति हैं जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए पुनर्जन्म का मार्ग चुना है। बौद्ध धर्म के इतिहास में अबतक सिर्फ 14 दलाई लामा हुए हैं। पहले और दूसरे दलाई लामा को मरणोपरांत यह उपाधि दी गई थी।
दलाई लामा ने अपने आध्यात्मिक नेतृत्व के अलावा तिब्बती राजनीति में भी प्रमुख भूमिका निभाई है। दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि 17वीं शताब्दी से लेकर 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने तक स्वायत्तता के साथ तिब्बती पठार के अधिकांश भाग पर शासन करते रहे हैं ।

तिब्बत में हुए अबतक के 14 दलाई लामाओं की सूची !

  1. गेदुन द्रुप (1391-1474)
  2. गेदुन ग्यात्सो (1475-1542)
  3. सोनम ग्यात्सो (1543-1588)
  4. योनतेन ग्यात्सो (1589-1617)
  5. लोबसांग ग्यात्सो (1617-1682)
  6. त्सांगयांग ग्यात्सो (1683-1706)
  7. केलजांग ग्यात्सो (1708-1757)
  8. जंपेल ग्यात्सो (1758-1804)
  9. लुंगटोक ग्यात्सो (1805-1815)
  10. त्सुलत्रिम ग्यात्सो (1816-1837)
  11. खेद्रुप ग्यात्सो (1838-1856)
  12. त्रिनले ग्यात्सो (1857-1875)
  13. थुबटेन ग्यात्सो (1876-1933)
  14. तेनज़िन ग्यात्सो (1935-वर्तमान)

क्या दलाई लामा बुद्ध थे?

दलाई लामा ब्रह्मचारी भिक्षु हैं जो तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुक्पा संप्रदाय के प्रमुख हैं और कई ऐतिहासिक मामलों में तिब्बत के राजनीतिक नेता हैं।
दलाई लामा को अवलोकितेश्वर का अवतार माना जाता है, जो बोधिसत्व हैं।
एक प्रबुद्ध व्यक्ति जो दूसरों की मदद करने के लिए बुद्ध बनना टाल देता है – करुणा और दया का प्रतीक!

बयान देने वाले मौजूदा धर्मगुरु दलाई लामा (14वें) का संक्षिप्त जीवन परिचय

तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा (१४वें) का जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के अमदो के तकत्सेर में स्थित एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। दो साल की उम्र में उस बच्चे का नाम ल्हामो धोंडुप रखा गया,
जिसे पिछले 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया।
1959 में तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद, दलाई लामा को भारत में शरण दी गई थी तब से वह भारत में रह रहे हैं और तिब्बती समुदाय के आध्यात्मिक नेता बने हुए हैं ।
चीनी आक्रमणकारियों के हाथों अपने जीवन को खतरे में देखकर दलाई लामा को 17 मार्च, 1959 की रात को तिब्बत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने तिब्बत की राजधानी ल्हासा से भेष बदलकर अपने परिवार और सहयोगियों के साथ भारत की ओर प्रस्थान किया था। 13 दिनों की यात्रा के बाद वह भारतीय सीमा में दाखिल हुए जहां उन्हें भारतीय अधिकारियों ने रिसीव किया और बोमडिला में ले जाया गया।

चीन ने जब तिब्बत पर हमला किया तो मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्हें तिब्बत का पूर्ण राजनीतिक नेता घोषित किया गया था ।
तिब्बत में चीन के खिलाफ असफल विद्रोह हुआ इसके बाद दलाई लामा भारत भागकर आए और धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में निर्वासन सरकार स्थापित की। 1960 के बाद वे विश्वभर में तिब्बत की स्वायत्तता और शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए आवाज़ उठाने लगे।
1989 में दलाई लामा को अहिंसा और करुणा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वैश्विक स्तर पर शांति, अहिंसा, करुणा और मानवाधिकारों के प्रचारक के रूप में जाना जाता है। इनकी विचारधारा अहिंसा और संवाद द्वारा समस्या का समाधान है।
वे तिब्बत की स्वतंत्रता की जगह अब वे “असली स्वायत्तता” की वकालत करते हैं –जिसे “मध्य मार्ग नीति” कहा जाता है।
वर्तमान में दलाई लामा धर्मशाला (भारत) रहते हैं। उन्होंने 2011 में राजनीतिक नेतृत्व से संन्यास ले लिया और लोकतांत्रिक प्रणाली को बढ़ावा दिया।
यद्यपि निर्वासन के अपने लंबे जीवन के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की लेकिन उन्हें कभी भी घर लौटने की अनुमति नहीं दी गई।

उत्तराधिकारी चुनने पर 14वें दलाई लामा का मत

अधिकांश दलाई लामा तिब्बत से हैं, लेकिन कुछ दलाई लामा बाहर से चुने गए हैं।चौथे दलाई लामा योनतेन ग्यात्सो (Yonten Gyatso) का जन्म 1589 में मंगोलिया में हुआ था और छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो (Tsangyang Gyatso) का जन्म 1682 में भारत के वर्तमान अरुणाचल प्रदेश के मोन तवांग क्षेत्र में हुआ था।
:- 2004 में टाइम पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था –”मेरा जीवन तिब्बत के बाहर बीता है, इसलिए तार्किक रूप से मेरा पुनर्जन्म भी बाहर ही होगा।”
:- 2011 में पुनर्जन्म के बारे में दिए गए भाषण में दलाई लामा ने कहा था कि लगभग 90’वर्ष की आयु में वे अपने उत्तराधिकारी के चयन के बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिए धार्मिक नेताओं और तिब्बती जनता से परामर्श करेंगे।
:- मार्च 2025 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘वॉयस फॉर द वॉइसलेस’ में दलाई लामा ने कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा होगा।
नए दलाई लामा के चयन पर भारत में बहुत दिलचस्पी से नजर रखी जाएगी क्योंकि वर्तमान दलाई लामा का अधिकांश समय भारत में बीता है और हिमालयी राज्यों में तिब्बती बौद्ध धर्म को मानने वाले बहुत सारे लोग हैं।दलाई लामा के अलावा भारत में एक लाख से ज्यादा तिब्बती बौद्धों के रहने का अनुमान है जो यहां अध्ययन और काम करने के लिए स्वतंत्र हैं और भारतीय उनका सम्मान करते हैं !

Share Article:

Considered an invitation do introduced sufficient understood instrument it. Of decisively friendship in as collecting at. No affixed be husband ye females brother garrets proceed. Least child who seven happy yet balls young. Discovery sweetness principle discourse shameless bed one excellent. Sentiments of surrounded friendship dispatched connection is he. Me or produce besides hastily up as pleased. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Struggler Desk

Endeavor bachelor but add eat pleasure doubtful sociable. Age forming covered you entered the examine. Blessing scarcely confined her contempt wondered shy.

Follow On Instagram

News With Soul

Questions explained agreeable preferred strangers too him her son. Set put shyness offices his females him distant.

Tags

Edit Template

परिचय

हमारा उद्देश्य है हर उस आवाज़ को मंच देना, जिसे अक्सर अनसुना कर दिया जाता है। StugglerDesk पर हम विश्वास करते हैं तथ्यों पर आधारित निष्पक्ष पत्रकारिता में, जहाँ खबर सिर्फ खबर नहीं, जिम्मेदारी होती है।

हाल की पोस्टें

© 2025 Created with Ompreminfotech

en_USEnglish
Powered by TranslatePress