अगर दक्षिण अमेरिका का नक्शा देखा जाए तो एक बेहद अजीब भूभाग वाला देश दिखाई देता है और वह है चिली। यह अपने पड़ोसी देशों की तरह न तो चौड़ा है और न ही वर्गाकार या संतुलित आकार में बल्कि यह बहुत लंबा और पतला है। हालाँकि यह एक सामान्य-सा भूगोलिक तथ्य लगता है, लेकिन चिली के इस अनोखे आकार के पीछे एक कहानी छिपी है। यह युद्ध की, भूगोल की, व्यापार की और अस्तित्व को बचाने की कहानी है!
चिली का यह आकार न केवल अनोखा है बल्कि इसके लिए कई समस्याओं को जन्म भी देती है। चाहे वह प्राकृतिक आपदाएँ हों या सुरक्षा से जुड़े मसले हों, चिली को अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक मेहनत करनी पड़ती है। चिली का आकार इतना अजीब क्यों है, यह इसके लिए कैसे समस्याएँ पैदा करता है, और इसके बावजूद चिली कैसे सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। इन पूरे तथ्यों में हम सबके लिए एक अहम सीख भी छिपी है।
आइए जानते हैं चिली का भूगोल और इतिहास
चिली का आकार शुरू से ऐसा नहीं था बल्कि इसके पीछे इसकी भूगोल और इतिहास की बड़ी भूमिका है। सदियों पहले जब ‘चिली’ नाम का कोई देश नहीं था, तब इस तंग-सी ज़मीन पर अलग-अलग कबीले रहा करते थे। इसके उत्तर क्षेत्र में अटकामेनियो और इमारा लोग रहते थे, जबकि दक्षिण क्षेत्र में ‘मापुचे’ नाम की एक लड़ाकू कौम निवास करती थी।
15वीं सदी में जब स्पेनिश साम्राज्य सोने की तलाश में यहाँ पहुँचा, तो उसने पाया कि यह क्षेत्र मेक्सिको या पेरू की तरह कोई विकसित सभ्यता वाला इलाका नहीं, बल्कि ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों और सूखे रेगिस्तानों से भरा पड़ा था और यहाँ की लड़ाकू जातियाँ किसी भी हाल में हार मानने को तैयार नहीं थीं।
स्पेनिश साम्राज्य को यहाँ कब्ज़ा करने में भारी कठिनाई हुई।
1818 में जब चिली को स्वतंत्रता मिली, तब यह केवल एक छोटा-सा क्षेत्र था जो आज के सैंटियागो और वालपेरिसो तक ही सीमित था।
चिली का विस्तार कैसे हुआ ?
1800 के दशक में चिली ने उत्तर और दक्षिण दोनों ओर विस्तार करना शुरू किया। जब उसने उत्तरी क्षेत्रों पर कब्ज़े की कोशिश की तो उसे ‘वॉर ऑफ द पैसिफिक’ के दौरान पेरू और बोलिविया दोनों से युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध के अंत में चिली ने कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया और बोलिविया अपनी समुद्री सीमा खोकर एक ‘लैंडलॉक्ड’ देश बन गया।
यह विजय चिली के लिए बड़ी थी, जिससे न केवल प्राकृतिक संसाधन उसके नियंत्रण में आ गए थे, बल्कि उसका सीमावर्ती क्षेत्र 500 किमी आगे बढ़ गया और वह और भी लंबा व पतला देश बन गया।
इसी प्रकार दक्षिण में भी चिली ने पैटागोनिया क्षेत्र पर नियंत्रण की कोशिशें शुरू कर दीं, जिस पर अर्जेंटीना की भी नज़र थी। कई बार दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आई, लेकिन 1881 की सीमा संधि के बाद चिली को दक्षिणी पैटागोनिया और मैगलन जलडमरूमध्य का नियंत्रण मिल गया।
20वीं सदी की शुरुआत तक चिली उत्तर से दक्षिण तक 4200 किलोमीटर लंबा देश बन चुका था, लगभग जितना संपूर्ण अमेरिका एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैला है।
दुनिया का सबसे लंबा देश बनने के बाद समस्याओं की शुरुआत।
चिली के इतने लंबे आकार ने उसके लिए कई समस्याएँ खड़ी कर दीं। असल परेशानी सिर्फ लंबाई नहीं थी, बल्कि चिली दो प्राकृतिक बाधाओं के बीच फँसा हुआ है। एक ओर प्रशांत महासागर, दूसरी ओर एंडीज पर्वतमाला है जो मुख्य परेशानी की वजह है। पश्चिम में समुद्र इसे विशाल तटरेखा तो देता है, लेकिन इसका अर्थ यह भी है कि चिली उस दिशा में और विस्तार नहीं कर सकता। पूर्व में ऊँचे एंडीज पर्वत हैं जो मानो एक दीवार की तरह रास्ता रोकते हैं। कई स्थानों पर इनकी ऊँचाई 6000 मीटर से भी अधिक है।
यह ज्योग्राफी चिली के वजह से चिली एक संकरी पट्टी जैसा दिखता है, जिसमें कुछ जगहों पर इसकी चौड़ाई केवल 100 किमी है, जो कई अमेरिकी शहरों से भी कम है। ऐसी स्थिति में सड़कें केवल पहाड़ों के बीच से किसी तरह निकल सकती हैं, रेललाइन बिछाना अत्यंत कठिन होता है, और शहर या तो उत्तर या दक्षिण की ओर ही फैल सकते हैं।
उत्तर और दक्षिण की चुनौतियाँ अलग–अलग है।
उत्तर में अटाकामा रेगिस्तान है जो दुनिया का सबसे सूखा रेगिस्तान है। यहाँ कई वर्षों तक बारिश नहीं होती, फिर भी लोग यहाँ रहते हैं जो कॉपर और लिथियम की खदानों में काम करते हैं। दक्षिण में तस्वीर एकदम उलटी है जहां ठंडी हवाएँ, वर्षा, बर्फबारी, ग्लेशियर। यहाँ सड़कें बनाना लगभग असंभव है इसलिए चिली में एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल है। जैसे एइसन और मैगलान जैसे क्षेत्रों में केवल नाव, विमान या अर्जेंटीना के रास्ते ही पहुँचा जा सकता है। आज भी चिली के लोग अपने ही देश के दक्षिणी हिस्सों में पहुँचने के लिए अर्जेंटीना के रास्ते यात्रा करते हैं। इसका अर्थ यह है कि उन्हें अपने ही देश में जाने के लिए पहले दूसरे देश से गुजरना पड़ता है। यदि कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो राहत पहुँचने में कई दिन लग जाते हैं। इसी तरह आग लगने या किसी बड़े हादसे में सहायता पहुँचना बेहद मुश्किल हो जाता है।
क्या है चिली सरकार की रणनीति ?
एक तरफ चिली की ज्योग्राफी उसे खूबसूरत और यूनिक बनाती है ,वही ये उसके लिए काफी कठिनाई भी खड़ी करती है। इन कठिनाइयों के बावजूद, चिली की सरकार ने कभी हार नहीं मानी और उसने अपनी भूगोलिक कमजोरियों से जूझने के लिए कई बेहतरीन उपाय अपनाए हैं।
चिली का सबसे बड़ा लक्ष्य है कि देश के उत्तर से दक्षिण तक आपस में संपर्क बनाए रखना। इसके लिए उसने सड़कें, राजमार्ग और हवाईअड्डों का जाल बिछाने की कोशिश की है मगर भौगोलिक अड़चनों की वजह से कई प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए। एक बड़ा उदाहरण है कैरेटेरा ऑस्ट्रल, जिसे सदर्न हाईवे या रूट 7 भी कहते हैं। यह परियोजना 1970 के दशक में सैन्य तानाशाह औगस्तो पिनोशे ने शुरू की थी। इसका उद्देश्य केवल संपर्क नहीं, बल्कि यह डर भी था कि अलग-थलग पड़े हिस्सों में विद्रोह न हो जाए। यह सड़क घने जंगलों, दुर्गम पहाड़ों और तूफानी नदियों के बीच से गुज़ारनी पड़ी। आज 40 साल बाद भी इसके कई हिस्से अधूरे हैं और जो भाग बने भी हैं, उन्हें बनाए रखना अत्यंत कठिन है क्योंकि यहाँ बार-बार बाढ़ और भूकंप आते हैं।
प्राकृतिक आपदाएँ से प्रभावित होती है कनेक्टिविटी और अर्थव्यवस्था।
चिली ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है और यह पृथ्वी के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है, जहां हर साल हजारों भूकंप आते हैं। 2010 में आए 8.8 तीव्रता वाले भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए और बुनियादी ढाँचा तहस-नहस हो गया तथा आपात स्थितियों में यहाँ राहत पहुँचाना बेहद कठिन हो जाता है।
सिर्फ आपदाएँ ही नहीं, आम दिनों में भी कनेक्टिविटी बड़ी समस्या है। चिली के उत्तर से दक्षिण तक हवाई यात्रा में लगभग 5 घंटे लगते हैं। ज़्यादातर लोग दक्षिणी हिस्सों में अर्जेंटीना के रास्ते ही जाते हैं।
चिली के भौगोलिक संरचना का असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। चिली की 40% आबादी उसके राजधानी सैंटियागो और उसके आसपास रहती है। यही वजह है कि चिली के बेहतरीन हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी, रोड्स,एयरपोर्ट ओर जॉब मार्केट्स सब सेंटियागो के आसपास ही है,बाकी क्षेत्रों में अस्पताल, शिक्षा, रोज़गार, बुनियादी सुविधाएँ लगभग नहीं के बराबर हैं। आबादी का इतना बड़ा केंद्रीकृत होने से बहुत सारी समस्याएं भी होती है।
चिली की जीडीपी का 30% हिस्सा निर्यात से आता है (जैसे कॉपर, लिथियम, सालमन मछली, फल आदि) और इन चीजों में चिली दुनिया का उच्च उत्पादक देश है। लेकिन इन संसाधनों को एक स्थान से बंदरगाह तक ले जाना बेहद कठिन और महँगा पड़ता है। चिली आज दक्षिण अमेरिका की सबसे स्थाई और सफल इकोनॉमिक देश है लेकिन इसका भौगोलिक बनावट बहुत बड़ा कमजोरी है। इस वजह से इस देश को बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा मेहनत और बेहतर प्लानिंग करनी पड़ती हैं।
क्या है चिली के इस समस्या का समाधान और भविष्य?
चिली जानता है कि वह अपना आकार नहीं बदल सकता, वो न एंडीज पर्वत हटा सकता है, न महासागर को। उसकी एकमात्र राह है कि वो स्थिति के अनुसार खुद को ढाल ले और चिली ने अबतक यही किया है। सरकार ने हाई-स्पीड इंटरनेट और सैटेलाइट कनेक्टिविटी में निवेश किया है, जिससे अब 90% से अधिक आबादी इंटरनेट से जुड़ी है। यहां के दूरदराज़ क्षेत्रों में ड्रोन डिलीवरी, सोलर पावर माइक्रो ग्रिड और छोटे हवाई अड्डों के ज़रिए कनेक्शन बनाए जा रहे हैं। चिली ये सब अकेले नहीं कर सकता इसलिए अपने पड़ोसी अर्जेंटीना के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि सीमा पार से भी आसान पहुँच बनाई जा सके।
साथ ही, दक्षिणी क्षेत्रों में नाव, पुल और सुरंगें बनाई जा रही हैं जिससे इन क्षेत्रों को आपस में कनेक्ट किया जा सके। चिली अब तकनीकी क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दे रहा है और आज ये देश अमेरिका की सबसे तकनीकी उन्नत देशों में एक माना जाता है। सैंटियागो को 2023 में दक्षिण अमेरिका के शीर्ष स्टार्टअप हब में शामिल किया गया।
चिली सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों में भी तेज़ी से निवेश कर रहा है क्योंकि उसके भौगोलिक बनावट में जो खूबियां है उनसे भरपूर लाभ ले सके।
खैर हालात जैसे भी हों, उनसे घबराने या शिकायत करने के बजाय उन्हीं में समाधान ढूँढना लक्ष्य होना चाहिए। हर देश के पास कुछ अच्छाइयाँ और कुछ कमजोरियाँ होती हैं लेकिन कोशिश जो मिला है, उसी को बेहतर बनाने की होनी चाहिए !



